फास्ट टैग से कितनी राहत...... क्या ये नए भ्रष्टाचार को जन्म दे रहा ?
फास्ट टैग से कितनी राहत...... क्या ये नए भ्रष्टाचार को जन्म दे रहा ?
फास्ट टैग से राहत हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के बहुत रास्ते भी निकाले जा रहे हैं, टोल प्लाजा पर कार्यरत कर्मचारियों के व्यवहार में कोई सुधार नहीं!
रिपोर्ट ,धनंजय राय अर्जुन
सच से समझौता नहीं
जौनपुर : भाजपा की सियासी बुनावट में मैंने अनगिनत रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री, विदेश मंत्री, पर्यावरण मंत्री देखे हैं पर जितनी मक्कारी के साथ सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपना मास्टर प्लान बेचते हैं वो वाकई किसी देश को बेचने वाले हुक्मरान के सपनों को पंख देने का काम करता है! ख़ैर खबर मिली है कि गडकरी जी ने हर वाहन के लिए फास्ट टैग व्यवस्था अनिवार्य कर दी है! तो क्या आप बताओगे इससे टोल प्लाजा की व्यवस्था बेहतर हो गयी ?
क्या टोल प्लाजा पर जाम की समस्या खत्म हो गयी ?क्या किसी टोल प्लाजा पर कुछ ले-देकर फर्जी तरीके से वाहन पास नहीं कराए जाते ?ओवरलोडिंग की समस्या खत्म हो गयी ? क्या टोल प्लाजाकर्मियों की गुंडागर्दी , दादागिरी , बत्तमीजियां खत्म हो गयी ?
सड़क बनती नहीं टोल प्लाजा पहले खड़े कर दिए जाते हैं । कुछ नेशनल हाइवे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं । वे दुरुस्त नहीं करवाये जाते लेकिन उन पर टोल लेना बदस्तूर जारी है ?
नियमानुसार 60 km पर एक टोल प्लाजा होना चाहिए । कई जगह दो शहरों की दूरी 150 km होती है लेकिन उनके बीच तीन-तीन टोल प्लाजा खड़े हैं ?
कई जगह जबर्दस्ती के टोल प्लाजा बनाने के लिए हाइवे को बेवजह सर्पिलाकार में टेड़ा-मेड़ा बनाकर उसकी दूरी बढ़ाई जाती है ताकि अतिरिक्त टोल प्लाजा बनाये जा सकें ।
कई शहरों में बाईपास होना चाहिए लेकिन गडकरी ने जमीनी मुआवजे का पैसा बचाने और अपनी पीठ खुद ठोकने के चक्कर में शहर में से निकल रहे पुराने हाइवे को ही चौड़ा कर के शहर के बीच लॉक्ड हाइवे निकाल दिया है जबकि हाइवे ऊपर ही ऊपर से ओवरब्रिज के जरिये निकलना चाहिए था ओवरब्रिज का खर्चा तो बचा लिया लेकिन अब शहर की ऐसी-तैसी हुई पड़ी है । इधर से उधर जाना मुश्किल है क्योंकि नीचे से जगह नहीं है और सामने से लॉक्ड हाइवे इसलिए 2-4 किलोमीटर घूमकर आइए-जाइये!अगर यह सब समस्या खत्म हो गयीं हों तो मैं भी नितिन गडकरी को एक सफल सड़क भूतल परिवहन मंत्री मान लूंगा.!
असल बात ये है कि इंसान को भगवान बनाकर पूजने वालों को चमचमाते सुपर एक्सप्रेस वे दिख रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकतें नहीं दिख रही है.! इसलिए गडकरी की आलोचना होने पर वे बिलबिला जाते हैं...!
