महिला सम्मान, उर्वशी सिंह अतुल्य वेल्फेयर ट्रस्ट अध्यक्ष जौनपुर

महिला सम्मान, उर्वशी सिंह अतुल्य वेल्फेयर ट्रस्ट अध्यक्ष जौनपुर

महिला सम्मान, उर्वशी सिंह अतुल्य वेल्फेयर ट्रस्ट अध्यक्ष जौनपुर

उर्वशी सिंह

एल एल बी 3rd सेमेस्टर दवितीय वर्ष) उर्वशी सिंह अतुल्य वेल्फेयर ट्रस्ट अध्यक्ष जौनपुर 

महिला सम्मान

औरत अगर कलम उठाए तो भाग्य बदल देती हैं और कदम उठाए तो इतिहास रच देती है समय के साथ आगे चलो पर संस्कृति की उंगली मत छोड़ो ! जहा आज पूरा देश आजादी के 75 वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में बहुत ही धूम धाम से मना रही है वही आज हम महिला की या बेटी बहु की बात करे तो अगर कामकाजी की दुनिया एक समंदर है तो ममता दे

वी जैसी महिलाएं बिखरे मोती अपने ही शिप में बंद, इन्होने अभी तक किनारा देखा ही नहीं, ये नहीं जानती कि ये कितनी अनमोल है! ये तो खुद को वर्किंग वुमेन तक नहीं मानती है | हमारे सामने सवाल ये है कि जो अपना ही मान करना नहीं जानती उन्हें समाज में दुकान में और दफ्तर में सम्मान और औहदा कैसे मिलेगा कहते हैं दुनिया उगते सुरज को ही सलाम करती है पर उस सुरज को देखने

 के लिए अंधेरे में आंखे खोलनी पड़ती है, शायद हमे भी आँख खोल कर देखना होगा कि आम लोग कैसे रोज सुरज उगाते तभी हम उन जैसी महिलाओं का हक दिला सकते, लोगों से भी आश करेंगे सह

योग और मदद के लिए। बस एक बात का ध्यान देना महिला जरूरत मंद हो,

खुद के मान 

सम्मान से कोई समझौता नहीं करना चाहिए! अगला सवाल खुद के साथ साथ समाज से भी कि महिला सम्मान या भीड़ का हिस्सा ये सवाल भी बहुत महत्व रखता है आज के परिवेश में, समाज में आज भी की मानसिकता और सोच बहुत छोटी है, लोग आज भी महिलाओं को जंजीरों मे या पर्दे मे देखना चाहते, आज भी महिलाओ को लोग ऐसी जगह ही आशा करते हैं देखने की जहा 

वह देखना चाहते हैं जै

से कि स्कूल कुछ लोगों हो पार्लर हो, आज भी यह समाज महिलाओं को पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए नहीं देखना चाहता है, आज समाज मे पुरुष प्रधान समाज महिलाओ को सम्मान देने के नाम पर समाज में बुलाते हैं पर सम्मान देने के लिए उनके पास उतना खुद सम्मान नहीं होता जो उन्हें दे, वो महिलाओ को ताली बजाने या भीड़ का हिस्सा बनाने के लिए समाज में बुलाते हैं, क्या महिलाओ का अपना सम्मान नहीं होता है जो औरत अपने कोख से एक आदमी को जन्म दे सकती है वह दुनिया का कोई भी कार्य कर सकती है, और एक औरत कमजोर नहीं होती औरत तो प्यार है और जरूरत पड़ने पर तलवार भी है, औरत अगर कलम उठाए तो भाग्य बदल देती हैं और कदम उठाए तो इतिहास रच देती है समय के साथ आगे चलो पर संस्कृति की उंगली मत छोड़ो ! अगर स्वभाव की बात करे तो महिला स्वभाव तेजपत्ता स्वभाव जैसे होता है आप लोग सोच रहे होंगे ये कैसा स्वभाव, बहुत दिन से दिमाग में चल रहा था कि समाज में कुछ दूसरे के भरो

से आगे जाते हैं और क्रेडिट खुद ले लेते हैं ऐसे लोगों को क्या नाम दे, पर जाहिर सी बात है एक गृहणी होने के कारण जब रसोई घर के खजाने को देखा तो मुझे सबसे महत्वपूर्ण किरदार इसी का लगा मुझे समझ में आ गया मेरे सवाल का जवाब, तो आज हम इसी के बारे में थोड़ा चर्चा करेंगे, तेज पत्ता स्वभाव, जब हमे कुछ अच्छा और लज़ीज़ व्यंजन या खाने का स्वादिष्ट भोजन बनाना होता है तो सबसे पहले तड़के मे हम महिलाएं तेजपत्ते का इस्तेमाल करते हैं क्युकि इसका बहुत महत्वपूर्ण किरदार रहता है, स्वाद को बढ़ाने और कुछ इसमे आयुर्वेदिक चिकित्सा के गुण के कारण., फिर जब पकवान बन कर तैयार होता है तब खाना खाने वाले इंसान उसी महत्वपूर्ण तेज पत्ते को सबसे पहले निकाल फेकता है क्युकी अब उसका का

म ही नहीं रह गया कुछ ऐसे ही आज के समाज मे कुछ लोगों का स्वभाव और व्यवहार महिलाओं के प्रति है, आज महिलाए पुरुष के साथ सब क्षेत्र मे कदम से कदम मिलाकर कार्य करती है पर

महिला को खूब आदर सत्कार करते हैं और अपना कार्य उन्हीं के दम पर करते हैं। जैसे ही काम खत्म या मतलब खत्म तो सबसे पहले उसी तेज पत्ते रूपी महिला को ही बाहर निकाल देते हैं और गर्व से पूरी जायके का क्रेडिट खुद लेते हैं! इसलिये उस बेचारी का कोई श्रेय ही नहीं रह जाता है ! पर सच्चाई ये है कि उस जायके को भी पता है कि तेज पत्ते का क्या महत्व है बस कहता नहीं । इसलिये हम सभी महिलाओ से यही कहेंगे कि अगर बनना हो तो समाज के जायके में तेजपता रूपी व्यक्तित्व बने, जिसको सभी जानते हैं कि बिना इसके कुछ भी सम्भव ही नहीं है!

तूफानों से लड़ोगे ही नहीं तो साहिल की ओर कदम कैसे बढ़ा पाओगे.... भंवर से उलझे नहीं तो मझधार में फंसकर निकलना कैसे सीख पाओगे.... • अपनी नौका पार कराने में हौंसलो की पतवार रुकने न देना गर रखोगे हिम्मत जज़्बा अपनी भुजाओं में, दरिया पार निकल जाओगे....।

विजय प्रताप टाइम्स