आखिर राजभर समाज को क्यों पसंद नहीं आ रहा सीएम योगी का फैसला, क्या बढ़ने वाली है सरकार की मुश्किल?

आखिर राजभर समाज को क्यों पसंद नहीं आ रहा सीएम योगी का फैसला, क्या बढ़ने वाली है सरकार की मुश्किल?

आखिर राजभर समाज को क्यों पसंद नहीं आ रहा सीएम योगी का फैसला, क्या बढ़ने वाली है सरकार की मुश्किल?

आजमगढ़. उच्च न्यायालय से 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने संबंधी सभी अधिसूचनाएं रद होने के बाद योगी सरकार ने उम्मीद के मुताबिक इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मत्स्य विकास मंत्री व निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद और एमएसएमई मंत्री राकेश सचान से चर्चा के बाद मझवार समूह की उपजातियों को परिभाषित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने का फैसला किया है लेकिन सरकार का यह फैसला राजभर समाज को रास नहीं आ रहा है। राजभर समाज ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में 17 जातियां कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी, मछुवा अतिपिछड़ा वर्ग में दर्ज हैं। इन्हें अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण दिलाए जाने की समाज की मांग लंबे समय से लंबित है। इसके राजनीतिक लाभ को भुनाने के प्रयास में पूर्व में सरकारें चुनाव के आसपास आरक्षण का मुद्दा उछालती रही हैं। केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजे गए। सपा सरकार के कार्यकाल में दो बार अधिसूचनाएं भी जारी कर दी गईं, लेकिन इसके लिए प्रक्रिया असंवैधानिक अपनाई गई। इसलिए तकनीकी पेंच फंसा ही रहा। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने अब तक जारी अधिसूचनाओं को रद कर दिया। इसके साथ ही गेंद वर्तमान योगी सरकार के पाले में आ गई है।

अब योगी सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाने का फैसला किया है लेकिन सरकार का फैसला कम से कम राजभर समाज को रास नहीं आ रहा है। इस संबंध में मेहनगर के भोजपुर ग्राम पंचायत में सुरेश राजभर के आवास पर एक बैठक की गई। जिसकी अध्यक्षता हरिश्चंद्र राजभर ने की। मुख्य अतिथि हरी लाल राजभर ने कहा कि राजभर समाज के कुछ नेता अपने ही समाज समाज के साथ अन्याय पूर्ण कार्य करते हुए एससी एसटी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जबकि हम लोग महाराजा सुहेलदेव की वंशज हैं। हमारे वंशज मुगलों के साथ व अंग्रेजों से कई लड़ाईयां लड़ी हैं। राजभर वंश के किले और उनके कारनामें बताते हैं कि राजभर समाज राजघराने से संबंध रखता है।

इसके बाद भी कुछ नेता अपने लाभ के लिए राजभर समाज को गुमराह करते हुए ओबीसी से एससी एसटी में शामिल करने की बात कर रहे हैं। जबकि 90 प्रतिशत ऐसे राजभर हैं, जो एससी-एसटी में शामिल नहीं होना चाहते। राजभर समाज को यदि सरकार न्याय देना चाहती है तो उसे ओबीसी में ही रहने दें। हरिश्चंद्र राजभर ने कहा कि आरक्षण को आर्थिक आधार पर लागू करना चाहिए। हम प्रदेश की योगी और भारत के मोदी सरकार से मांग करते हैं कि राजभर समाज जो महाराज सुहेलदेव की वंशज हैं, हम लोगों के साथ अन्याय न करते हुए ओबीसी में ही रहने दिया जाए। इस अवसर पर देवनारायण राजभर, रघुनाथ राजभर, श्रवण राजभर, गोबिंद, राजनाथ, नितेश राभर आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।