अपराधियों के लिए आजमगढ़ जेल बना पिकनिक स्पाट,जांच में 12 मोबाइल व 97 पुड़िया गांजा बरामद
अपराधियों के लिए आजमगढ़ जेल बना पिकनिक स्पाट,जांच में 12 मोबाइल व 97 पुड़िया गांजा बरामद
रिपोर्ट, ब्यूरों धनंजय राय
आजमगढ़. यूपी के संवेदनशील जेलों में शामिल आजमगढ़ जिला कारागार अपराधियों के लिए आज भी पिकनिक स्पाट बना है। कभी इसी जेल में अजीत सिंह की हत्या की साजिश रच लखनऊ में घटना का अंजाम दिया गया था लेकिन इसके बाद भी यहां की व्यवस्था नहीं बदली। जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज और पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने मंगलवार को जेल का निरीक्षण किया तो सच सामने आ गया। बैरकों की जांच में नेे केवल 12 मोबाइल व चार्जर बरामद हुए बल्कि अधिकारियों को यहां 97 पुडिया गांजा भी मिला। इसके अलावा भी कई आपत्तिजनक सामान पाए गए। अब इस मामले में कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज, पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य के नेतृत्व में मंगलवार को अपर जिलाधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा इटौरा स्थित जिला जेल का निरीक्षण किया गया। एकाएक अधिकारी करीब एक बजे जेल के निरीक्षण के लिए पहुंचे जिसके कारण जेल में बंद अपराधियों को मौका नहीं मिला कि वे आपत्तिजनक सामान को ठिकाने लगा सकें। जेल में छापेमारी की यह कार्रवाई शाम 4.30 बजे तक चलती रही। अधिकारियों के जेल की सभी बैरकों की तलाशी ली।
छापेमारी के दौरान जेल से 12 मोबाइल फोन, चार्जर और 97 पुड़िया गांजा सहित अन्य आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद की गई। उक्त सामनों को देखकर अधिकारियों के भी होश उड़ गए। कारण कि पिछले वर्ष लखनऊ में हुई पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अजीत सिंह की हत्या की साजिश इसी जेल में रची गई थी। यही नहीं जेल से कई बार रंगदारी का मामला भी प्रकाश में आ चुका है। इसके बाद भी यहां इस तरह के आपत्तिजनक सामान मिलना यह दर्शाता है कि जेल में कैसे अपराधियों की सत्ता चल रही है।
यहां तीन साल पहले हुई छापेमारी में भी 37 मोबाइल फोन बरामद हुआ था। जिसमें जेल अधीक्षक, जेलर सहित डिप्टी जेलर को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद माना जा रहा था कि शायद अब जेल की व्यवस्था बदल जाएगी लेकिन अधिकारियों की जांच में हुई बरामदगी के बाद साफ हो गया है कि हालात पहले से भी बदतर हैं। जिलाधिकारी विशाल भारद्धाज ने बताया कि जिला प्रशासन के आकस्मिक निरीक्षण में 12 मोबाइल फोन, चार्जर, अन्य आपत्तिजनक वस्तुओं के साथ गांजा बरामद हुआ है। इस संबंध में जिम्मेदारी तय करते हुए प्रशासनिक और वैधानिक दोनों कार्रवाईयां की जाएंगी। जिला प्रशासन ने जेल में छापेमारी की बात को इतना गोपनीय रखा कि इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं मिली। यहां तक की छापेमारी में शामिल इंस्पेक्टर और एसओजी टीम के साथ किसी को भी इसके बारे में जानकारी नहीं दी गई। यही कारण है कि जेल से 12 फोन बरामद हो सके।
