बनारस की तीन साल की बच्ची लक्ष्मी के कंजीनाइटिल हर्ट डिजीज का अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में होगा मुफ्त इलाज
बनारस की तीन साल की बच्ची लक्ष्मी के कंजीनाइटिल हर्ट डिजीज का अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में होगा मुफ्त इलाज
वाराणसी. कंजीनाइटिल हार्ट डिजीज (सीएचडी) से पीड़ित वाराणसी के हरहुआ क्षेत्र निवासी लख्खी की तीन साल की बेटी लक्ष्मी को हृदय रोग का निःशुलक इलाज अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में होगा। के लिए रेफर किया गया है। मासूम बच्ची का मुफ्त इलाज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत होगा।सीएचडी के लिए ये इस साल की पहली उपलब्धि है।
आरबीएसके की हरहुआ टीम की स्क्रीनिंग में पता चला इस बच्ची की बीमारी का
इस संबंध में आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ एके मौर्य बताते हैं कि कुछ दिनों पहले आरबीएसके की हरहुआ टीम ने लमही के मढ़वा आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की स्क्रीनिंग की थी। उसी वक्त लक्ष्मी में सीएचडी के लक्षण दिखे थे। उसके बाद लक्ष्मी के परिवारजनों से वार्ता कर पूरी जानकारी ली गई। पता चला कि उसके पिता बहुत दिनों से बच्ची की बीमारी को लेकर परेशान हैं। लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वो इलाज का खर्च वहन नहीं कर पा रहे। इस पर लक्ष्मी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में जांच के लिए भेजा गया। राजकीय जिला अस्पताल में लक्ष्मी की मुफ्त में पूरी जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट के अनुसार उसमें सीएचडी के लक्षण मिले जिसके आधार पर इलाज के लिए चिन्हित किया गया। फिर नोडल अधिकारी ने सीएचडी के लिए चिन्हित अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज से निःशुल्क इलाज की अनुमति ली। अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज से निःशुल्क इलाज के लिए अनुमति मिल गई है। अगले कुछ दिनों में लक्ष्मी का निःशुल्क ऑपरेशन हो जाएगा।
आरबीएसके के तहत 19 वर्ष तक के बच्चों के मुफ्त इलाज की मिलती है सुविधा
डॉ मौर्य ने बताया कि आरबीएसके के तहत विभिन्न जन्मजात दोषों का चिन्हीकरण करके जन्म से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों के उपचार के लिए सरकार स्तर गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है। जन्मजात दोषों में कंजीनाईटल हार्ट डिसीज (सीएचडी) हृदय की एक गंभीर जन्मजात दोष है। सामान्यतः इसके उपचार में चार-पांच लाख रुपये का खर्च आता है, जो आरबीएसके योजना के अंतर्गत निःशुल्क किया जाता है। आरबीएसके के अंतर्गत जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 16 टीमें कार्यरत हैं जो प्रत्येक गांव में भ्रमण कर जन्मजात दोषों की पहचान करके उनके इलाज का इंतजाम करती है।
सीएचडी के लक्षण और सावधिनियां
उन्होंने बताया कि सीएचडी में प्रायः बच्चों में सबसे सामान्य लक्षण हाथ, पैर, जीभ का नीला पड़ जाना, ठीक तरह से सांस न ले पाना और मां का दूध ठीक तरह से नहीं पी पाना व खेल-कूद में जल्दी थक जाना है। इस जन्मजात दोष से बच्चों को बचाने के लिए गर्भावस्था के प्रारम्भ से तीन माह तक फोलिक एसिड एवं चौथे माह की शुरुआत से प्रतिदिन आयरन एवं फोलिक एसिड की एक-एक लाल गोली खिलाई जानी चाहिए। यदि गर्भवती में खून की कमी (एनीमिया) है तो उसको प्रतिदिन आयरन की दो लाल गोली खानी चाहिए।
